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ministry of health and family welfare – डॉ. हर्षवर्धन

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ministry of health and family welfare  – डॉ. हर्षवर्धन

ministry of health and family welfare- भारत सरकार

 

 

13/5/2021,

डॉ हर्षवर्धन
स्वास्थ्य मंत्री, भारत सरकार

ministry of health and family welfare

आशा है आप सकुशल होंगे। बस इतना पूछना चाह रहा हूँ कि आप इस्तीफ़ा कब दे रहे हैं? क्या वाक़ई आपको अपनी सरकार के काम पर इतना भरोसा है?

इतने लोगों की वेंटिलेटर, आक्सीजन, दवा, इंजेक्शन और इलाज न मिलने के कारण जो हत्या हुई है क्या उसके बाद भी आपको नींद आती है?

आपके स्वास्थ्य सचिव को भी इस्तीफ़ा देना चाहिए। जब आप लोगों के होने से कुछ नहीं हुआ तो इस्तीफ़ा देकर चले जाने से भी कुछ नहीं होगा।

अब आपके सहयोगी मंत्री फ़ोटो ट्वीट कर रहे हैं कि यहाँ बेड लगा दिया वहाँ लगा दिया। अब तो वैसे भी संक्रमित मामलों में कमी आएगी और

अस्पतालों में कुछ दिनों के लिए जगह बनने लगेगी। संक्रमित मामलों में कमी आने में किसी सरकार का कोई योगदान नहीं है।

ख़ैर मैं बस चाहता हूँ कि आप इस्तीफ़े पर विचार करें। ऐसा नहीं है कि आर एस एस और बीजेपी से जुड़े विधायकों, नेताओं, कार्यकर्ताओं और

समर्थकों की मौत नहीं हुई है। यह मौत नहीं है, हत्या है। उन्हें भी अस्पताल में बिस्तर और इलाज नहीं मिला। जिन लोगों के साथ आप एक राजनेता

के रूप में जीवन भर काम करते हैं, आप उन्हें नहीं बचा सके। पार्टी के भीतर आप कैसे अपने सहयोगियों से नज़र मिला पाएँगे। प्रधानमंत्री को तो

फ़र्क़ नहीं पड़ता।उनके लिए फिर से कोई भाषण तैयार हो जाएगा। कोई डेटा आ जाएगा कि उन्होंने ये किया वो किया। वो हमेशा ही महान रहेंगे।

इतनी लाशें बह गईं गंगा में, उससे भी उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ा। वो इतना नहीं कर सके कि मरने वालों की संख्या सही गिनी जाए। तो आप उन्हें देखकर

कोई निर्णय न लें। मेरे इस पत्र को पढ़कर निर्णय लें। वैसे भी ministry of health and family welfare  स्वास्थ्य मंत्रालय के कर्मचारी

जब इस पत्र को पढ़ेंगे तो वे भी सहमत होंगे। पता नहीं आप पढ़ सकेंगे या नहीं।

आप एक विधायक या सांसद बनने से पहले एक डॉक्टर रहे हैं। आपकी राजनीतिक सफलता में इस विश्वास का बहुत योगदान रहा है कि

आप एक डाक्टर है और आप जैसे लोगों को राजनीति में होना ही चाहिए। जो करेंगे दूसरों के हित के लिए करेंगे।
लेकिन आप तो रामदेव का कोरोनिल का लाँच कर रहे थे। तो फिर आप टीकाकरण क्यों कर रहे हैं? सबको कोरोनिल ही खिलाते। इस्तीफ़ा देने

के बाद आप एक ठेला ख़रीद लें और उस पर कोरोनिल बेचा करें।

मैं जानता हूँ कि तल्ख़ हो रहा हूँ लेकिन क्या आप नहीं जानते कि मैं सही बात कर रहा हूँ? आप इतनी बार सांसद और विधायक रह चुके हैं कि

आपको दो दो पेंशन तो मिलती ही होगी। हम लोगों के पास तो पेंशन की भी सुरक्षा नहीं है। तब भी बोलने का रिस्क उठाते हैं। डॉ हर्षवर्धन आप

इस साल जनवरी के आख़िर में विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में कह रहे थे कि भारत कोरोना से जीतने के क़रीब पहुँच गया है। जो बताता है कि

आप एक डॉक्टर के रूप में भी महामारी की गति को समझने की क्षमता नहीं रखते हैं। आप एक डॉक्टर के रूप में इस वक़्त ज़िम्मेदारी नहीं निभा रहे थे।

एक नेता का काम कर रहे थे। इसलिए यह वक़्त है कि आप शर्म के साथ इस्तीफ़ा दे दें।इस्तीफ़ा देने से पहले जिन डाक्टरों की टीम बनाई थी,

टास्क फ़ोर्स वाली, उन सबको बर्खास्त कर दें। कौन कितना बड़ा है और कितना पढ़ा है उनका बायोडेटा मत देखिए। आपकी टीम के सारे लोग

असफल रहे हैं। औसत से भी ख़राब और असफल साबित हुए हैं।

मेरी राय में आपको इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। सच बोलने से डर लग रहा हो तो गीता का पाठ करें। उससे बल मिलेगा।

ministry of health and family welfare  अपनी सरकार का झूठ सामने रख दीजिए। इस वक़्त जो नरसंहार हुआ है उसमें मारे गए लोगों

के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हर बात में पुलिस केस की मदद मत लीजिए। कोई फ़ायदा नहीं है। आप इस्तीफ़ा देंगे तो आपके राजनीतिक

सहयोगी और समर्थक जो इस वक़्त अपने परिवार में और अपनी जनता से आँखें नहीं मिला पा रहे हैं, उन्हें भी कुछ बल मिलेगा। हाँ इस्तीफ़ा वाले

पत्र में प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ में एक पन्ना ज़रूर लिखें वरना आपके ही ख़िलाफ़ केस हो जाएगा। आपके घर में आयकर और ईडी के

छापे पड़ने लग जाएँगे। वैसे भी बंगाल चुनाव के बाद ईडी के लोग ख़ाली बैठे हैं। ख़ाली ईडी और ख़तरनाक होती है। दो मिनट में आपके घर आ जाएगी।

आपके इस्तीफ़े से यह संदेश जाएगा कि आपने ही फेल किया है। प्रधानमंत्री मोदी तो हमेशा महान हैं। अब आप समझ गए। मैं प्रधानमंत्री

मोदी की छवि के लिए आपके इस्तीफ़े की माँग कर रहा हूँ। मैं इतना भोला नहीं हूँ कि नरसंहार से व्यथित होकर आप इस्तीफ़ा दे देंगे।

अगर आप इस्तीफ़ा नहीं देंगे तो हो सकता है कि प्रधानमंत्री आपको मंत्रालय से हटा दें और अपनी छवि बचा लें। भले लाखों लोग तड़प

कर मर जाएँ, प्रधानमंत्री की छवि सुप्रीम है। उसे बचाने के लिए आप इस्तीफ़ा दे दीजिए।

मेरी बात का ध्यान रखिएगा। आपके प्रति आदर है लेकिन आपकी लापरवाहियों के प्रति कोई आदर नहीं है। do you get my point, hence resign.

रवीश कुमार
दुनिया का पहला ज़ीरो टीआरपी एंकर

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