Oxygen mask – आक्सीजन
Oxygen mask – रवीश कुमार
2/6/2021,
जब आक्सीजन आपूर्ति की कमेटी प्रधानमंत्री के पास थी तो जवाबदेही उनकी ही होगी
अप्रैल का महीना लगता है बिना आक्सीजन के गुज़रा। हमारी आपकी जानकारी में न जाने कितने लोग Oxygen mask आक्सीजन बेड और सिलेंडर खोजते मिले।
आक्सीजन न मिलने पर कइयों की मौत हो गई। बहुत लोग तो अस्पताल में सप्लाई बंद हो जाने से मर गए।
जब लोग मर रहे थे तब यह बहस सुप्रीम कोर्ट में चलने लगी। सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फ़ोर्स बना दिया। लोग तब भी मरते रहे।
जब महामारी अपनी गति से कुछ समय के लिए ठहर गई है तो प्रोपेगैंडा मास्टर बाहर आने लगे हैं। इस संदर्भ में आप 15 अप्रैल और
11 मई के दिन की दो प्रेस रिलीज़ देख सकते हैं। दोनों PIB यानी पत्र सूचना कार्यालय की तरफ़ से जारी की गई हैं। इसमें साफ़ साफ़ लिखा गया
है कि पिछले साल ही PMO ने आक्सीजन के उत्पादन और आपूर्ति को लेकर एक उच्चस्तरीय कमेटी बना दी थी। जिसका नाम EG2 था।
कैबनिट सचिव ने कहा है कि सितंबर में आक्सीजन की आपूर्ति में दिक़्क़त आई थी।
तब मोदी जी ने ख़ुद आक्सीजन उत्पादकों से संपर्क कर आवागमन की तमाम दिक़्क़तों को दूर की थी।
इसका मतलब यही हुआ न कि अप्रैल की तरह का न सही लेकिन आक्सीजन का संकट पिछले साल सितंबर में आया था और
प्रधानमंत्री मोदी ने एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर उसका समाधान किया था। उस दौरान उन्हें पता ही चला होगा कि
आक्सीजन का संकट दोबारा आ सकता है। या सितंबर की तुलना में अगर कहीं बड़ा संकट आया तो भयानक हो सकता है।
कैबिनेट सचिव को बताना चाहिए कि उसके बाद प्रधानमंत्री और EG2 ने आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया।
उसका नतीजा क्या यही था कि दिल्ली जैसी जगह में आक्सीजन सप्लाई कम हो गई और बत्रा और जयपुर गोल्डन अस्पताल में बिना आक्सीजन के ही मर गए।
तब तो इसकी जवाबदेही सीधे प्रधानमंत्री और PMO की बनती है। क्योंकि कैबिनेट सचिव की बात से यह तो साबित हो
जाता है कि सरकार के लिए आक्सीजन की कमी का संकट अचानक और अनजान संकट नहीं था।
अब एक और खल देखिए। जब महामारी आई तो इससे निपटने के लिए सरकार ने आपदा प्रबंधन क़ानून के तहत अधिकार अपने हाथ में ले लिए।
गृह मंत्रालय आपदा प्रबंधन का शीर्ष मंत्रालय होता है। इसके लिए एक राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद होती है जिसमें भारत सरकार के तमाम सचिव होते हैं।
कृषि सचिव से लेकर शिक्षा सचिव तक। तो इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अलग अलग पहलुओं पर तैयारी और निगरानी के लिए कई उच्चस्तरीय समितियाँ बनाईं।
लेकिन Oxygen mask आक्सीजन की आपूर्ति के लिए कोई समिति नहीं बनी। आक्सीजन की आपूर्ति की समिति बनती है PMO से।
हमें नहीं पता कि PMO की इस समिति का गृह मंत्रालय के अधीन काम कर रहे तमाम एम्पावर्ड ग्रुप से कोई लेन-देन था या नहीं। या इस EG2 के काम की जानकारी इन्हें नहीं थी ।
अब एक और खेल देखिए। इसके रहते हुए भी सुप्रीम कोर्ट को आक्सीजन की आपूर्ति के लिए नेशनल टास्क फ़ोर्स का गठन करना पड़ा।
ज़ाहिर है EG2 को कुछ पता नहीं था या उसके होने से कुछ हुआ नहीं। यह सब होने के बाद 29 मई को गृह सचिव एक आदेश जारी करते
हैं कि आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत आक्सीजन की आपूर्ति पर नज़र रखने और इंतज़ाम करने के लिए एक अलग से एम्पावर्ड ग्रुप बनाया जा रहा है।
इतना समझ लेंगे तो आप जान जाएँगे कि क्यों प्रधानमंत्री मोदी मन की बात में Oxygen mask आक्सीजन की आपूर्ति करने वाले ट्रक ड्राइवर और पायलट से बात कर रहे थे।
उन्हें हीरो बना रहे थे। जिस संकट के लिए वे ख़ुद ज़िम्मेदार है उसकी जवाबदेही स्वीकार करने के बजाए आपके सामने ज़बरन ट्रक ड्राइवर को नायक की तरह पेश कर रहे थे।
जब आप यह सब कारीगरी समझ जाएँगे तो पता चल जाएगा कि इतने लोग क्यों मरे। क्योंकि यही हो रहा है। ट्रक ड्राइवर से
आम जनता को प्रेरित होने की ज़रूरत नहीं है। किसी को प्रेरित होना है तो वह सरकार है। ख़ुद प्रधानमंत्री हैं।
पेरु ने मरने वालों की संख्या में बदलाव किया है। जनता ने शक किया तब वहाँ के प्रधानमंत्री ने एक कमेटी बना दी।
उसकी रिपोर्ट के बाद पेरु ने मरने वालों की आधिकारिक संख्या दोगुनी कर दी है। कुछ और देश हैं जिन्होंने संख्या कम होने की बात मानी है।
भारत में इतने सवाल उठे लेकिन अहंकारी सरकार को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा।